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म्युचुअल फंड्स क्या होते हैं? आपके लिए कौन सी स्कीम सही होगी?

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Mutual Funds
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पैसे से पैसा बनाने का एक महत्वपूर्ण जरिया है म्युचुअल फंड। इन दिनों आपको हर प्रचार माध्यमों में चाहे सिनेमा घर हो या फिर टीवी, अखबार हो या फिर डिजिटल मीडिया ” म्युचुअल फंड सही है” का विज्ञापन पढ़ने-देखने-सुनने को मिलता है। आइये जानते हैं कि म्युचुअल फंड क्या होता है और आप इससे ज्यादा से ज्यादा फायदा कैसे उठा सकते हैं।

म्युचुअल फंड क्या होता है?

म्युचुअल फंड को हिन्दी में पारस्परिक निधि या पारस्परिक कोष कहते हैं। यह निवेश का ऐसा साधन है जिसमें बहुत से निवेशकों की बचत को जमा कर एकसमान वित्तीय लक्ष्य हासिल किया जाता है। इसके तहत निवेश या म्युचुअल फंड कंपनी अपने निवेशकों से इकट्ठा किए गए पैसों को उनके हिसाब से चुने गए निवेश साधनों के विकल्प जैसे, शेयर, सोना, चांदी, बॉन्ड, डिबेंचर, मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स और दूसरी प्रतिभूतियों बगैरह में निवेश करती है।

निवेशकों में रिटर्न कैसे साझा होता है: 

  • निवेशों और प्राप्त केपिटल मूल्यवृद्धि के जरिये हासिल होने वाली आय को इसके शेयरधारकों द्वारा अपने शरेस के यूनिट्स के दर मै शेर किया जाता है।

म्युचुअल फंड में निवेश के फायदे:

1-कोई भी शख्स मात्र रु. 500 से भी निवेश शुरू कर सकता है, अधिकतम चाहे जितना भी पैसा लगा सकते हैं।

2-शेयर बाजार की तरह बहुत ज्यादा रिसर्च करने और बहुत ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत नहीं है।

3-प्रोफेशनल लोगों द्वारा काफी जांच-परखकर आपका पैसा सही जगहों पर लगाया जाता है।

4-अलग-अलग निवेश साधनों और अलग-अलग सेक्टर और शेयरों में पैसे लगाए जाते हैं, जिससे रिस्क कम जाता है और अच्छे रिटर्न की उम्मीद रहती है।

5-गारंटीड रिटर्न नहीं, लेकिन लंबी अवधि में हर साल 12-15 प्रतिशत रिटर्न मुमकिन है।

6-हर अवधि, हर वर्ग और हर तरह के वित्तीय लक्ष्य के लिए विकल्प मौजूद है।

7-युवा या फिर वैसे लोग जो लंबी अवधि के लिए म्युचुअल फंड में पैसे लगाना चाहते हैं उनके लिए इक्विटी फंड्स सही होता है।

7-जो सेकंडरी इनकम चाहते हैं उनके लिए डिविडेंड प्लांस सही होते हैं।

8-जो लोग रिटर्न तो ज्यादा चाहते हैं, लेकिन रिस्क कम लेना चाहते हैं, उनके लिए बैलेंस्ड फंड्स बेहतर विकल्प होते हैं।

9-मंथली इनकम प्लांस उनके लिए सही होता है जो हर महीने म्युचुअल फंड में निवेश कर इनकम चाहते हैं।

10-एफएमपी यानी फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लांस बैंक एफडी की तरह होते हैं, जिसे फिक्स्ड अवधि तक निवेश करके छोड़ दिया जाता है, हालांकि इसमें रिटर्न निश्चित नहीं होता है।

11-अगर आपको लगता है कि अगले 4-5 साल में कोई सेक्टर बेहतर प्रदर्शन करेगा, तो सेक्टर फंड्स यानी किसी सेक्टर वाले फंड्स में पैसे लगा सकते हैं।

12-अगर आपको टैक्स बचाना है तो ईएलएसएस यानी इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम्स में पैसे लगा सकते हैं। यह टैक्स प्लांनिंग फंड्स भी कहलाता है। हर वित्त वर्ष में रु 1.50 लाख तक टैक्स बचा सकते हैं, लेकिन पैसा तीन साल से पहले नहीं निकाल सकते हैं।

13-जो लोग सीधे-सीधे सेंसेक्स या निफ्टी के प्रदर्शन का फायदा उठाना चाहते हैं, उनके लिए इंडेक्स फंड्स बेहतर च्वाइस है।

14-जो लोग कैश मार्केट और डेरिवेटिव मार्केट में शेयरों के भाव में अंतर का फायदा उठाना चाहते हैं उनके लिए ऑर्बिट्राज फंड्स सही है। जानकारों का कहना है कि यह फंड तब अच्छा परफॉर्म करता है, जब बाजार में उतार-चढ़ाव ज्यादा हो।

15-ईटीएफ यानी  एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स। स्टॉक एक्सचेंज में शेयरों की तरह ही खरीदे और बेचे जाते हैं। यह सस्ता निवेश साधन है, क्योंकि इसमें चार्जेज आम तौर पर दूसरे फंड्स के मुकाबले कम होते हैं। दूसरे म्युचुअल फंड दिन के आखिर में एनएवी(NAV) पर लिए जाते हैं, वहीं ईटीएफ(ETF) ट्रेडिंग के घंटों में ही उस समय के ट्रेडिंग के वास्तविक कीमतों पर खरीदे और बेचे जा सकते हैं।

एनएवी (Net Asset Value -निवल परिसंपत्ति मूल्य)  किसी स्कीम की किसी भी समय हर यूनिट की कीमत दर्शाता है। इसे किसी स्कीम की परिसंपत्ति के बाजार मूल्य से इसकी देनदारियों को घटाकर हासिल किया जाता है। कंपनियों के शेयर जैसा ही म्युचुअल फंड में यूनिट होती है। आपके निवेश के बराबर म्युचुअल फंड कंपनियां यूनिट जारी करती हैं।   

16- लिक्विड फंड्स बैंक बचत खाते के जैसा, लेकिन इसमें रिटर्न ज्यादा। जरूरत पड़ने पर नकदी मिल जाएगी यानी लिक्विडिटी की सुविधा है।  

17-पारदर्शी और लचीलापन है, कोई भी चार्ज छुपा हुआ नहीं है। 18-कोई गड़बड़ी होने पर उसकी सुनवाई के लिए कानूनी व्यवस्था मौजूद।   

18-कोई गड़बड़ी होने पर उसकी सुनवाई के लिए कानूनी व्यवस्था मौजूद।

 म्युचुअल फंड में निवेश कैसे करें-

पहला तरीका: एसेट मैनेजमेंट कंपनी, जो आमतौर पर फंड हाउस के नाम से भी जानी जाती है, उनसे संपर्क करें। यही कंपनियां कोई भी म्युचुअल फंड स्कीम लांच करती हैं। कुछ फंड हाउस हैं- ICICI Prudential, Axis MF, HDFC MF, Birla Sun Life MF, BNP Paribas MF, Canara Robeco Mutual Fund।

दूसरा तरीका है शेयर ब्रोकर्स के जरिये- सेबी रजिस्टर्ड शेयर ब्रोकर्स के जरिये भी आप म्युचुअल फंड स्कीम में पैसे लगा सकते हैं। सेबी की वेबसाइट से ब्रोकर्स की पूरी लिस्ट मिल जाएगी। कुछ शेयर ब्रोकर्स- ICICI Securities, HDFC Securities, Kotak Securities, Axis Securities, SBI Capital

तीसरा तरीका: अपने बैंक से संपर्क करें। कुछ बैंक म्युचुअल फंड एजेंट के तौर पर काम करते हैं। आप उनसे पता कीजिए कि क्या वे म्युचुअल फंड बेचते हैं। अगर आपका बैंक म्युचुअल फंड बेचता हो, तो यह जानना जरूरी है कि आप जिस फंड में निवेश करना चाहते हैं उसके साथ आपके बैंक का करार है या नहीं।

चौथा तरीका: सेबी रजिस्टर्ड किसी म्युचुअल फंड एजेंट या निवेश सलाहकार से संपर्क करें। इसकी जानकारी आपको सेबी की वेबसाइट से मिल जाएगी।

5 वां तरीका: सेबी के अलावा एसोसिएशन पर म्युचुअल फंड्स इन इंडिया यानी एएमएफआई के वेबसाइट पर आपको देशभर के म्युचुअल फंड एजेंट की लिस्ट मिल जाएगी। वेबसाइट का पता नोट कर लीजिए… www.amfiindia.com

-6 वां तरीक: एमएफ यूटिलिटीज प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर आप एक ही प्लेटफॉर्म से सभी फंड हाउस की म्युचुअल फंड स्कीम्स में निवेश कर सकते हैं, उनसे संबंधित लेन-देने कर सकते हैं। वेबसाइट का एड्रेस है- www.mfuindia.com.

-7 वां तरीका- कुछ डिजिटल प्लेटफॉर्म या म्युचुअल फंड एग्रीगेटर्स के जरिये भी आप सीधे म्युचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं। इन्हें सेबी से मान्यता मिली हुई है। आम तौर पर निवेशकों को ब्रोकर्स या डिस्ट्रीब्यूटर्स के जरिये म्युचुअल फंड में निवेश करना होता है, लेकिन इन प्लेटफॉर्म के जरिये आप खुद से निवेश करके ब्रोकर्स या डिस्ट्रीब्यूटर्स लागत बचा सकते हैं। कुछ उदाहरण हैं, CAMS (कंप्यूटर ऐज मैनेजमेंट सर्विसेज), PayTM Money, ETMoney

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